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kavita Chouhan

Inspirational

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kavita Chouhan

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श्री राम

श्री राम

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त्याग सब सुख वन को रहन गए

निधि, सम्पति, को भूल विभक्त रहे

तनिक स्वार्थ न रहा मन उनके

राज, पाठ छोड़ रघुवर गए।


संग थी जानकी लछिमन भ्राता

कर्म को मान भाग्य विधाता

तात आज्ञा से सब छोड़ आये

नियति ने अजब रंग दिखलाये।


कष्टों से वो तनिक न घबराए

भाग्य लेख सबको बतलाते

छली कैकई को माता बुलाते

सत्य, धर्म को प्रमुख दर्शाते


स्नेह से भरत को समझाते

सप्रेम धर्म का पाठ पढ़ाते

सत्य, निष्ठा को सर्वोपरि बताया

मर्यादा रख कुल श्रेष्ठ बनाया।



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