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kavita Chouhan

Classics Inspirational

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kavita Chouhan

Classics Inspirational

माँ आई

माँ आई

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शेर पे सवार माॅ आई 

नवरात्रि की सबको बधाई


सज गये सब घर और द्वारे 

जय कारा दे माॅ को पुकारे 

माता के नौ रूप निराले 

कितने पावन भोले भाले 


शैल पुत्री प्रथम कहलाती 

मनभावन सा रूप दिखलाती 

दुसरी आई बह्मचारिणी 

मंगलकारीणी दुख निवारिणी 

चंद्रघंटा का रूप तीसरा 

दुख पीड़ा को हर जन बिसरा 

कुष्मांडा फिर चतुर्थ आई 

कांतिमय आभा दिखलाई


पंचम स्कंदमाता कहलाती 

कार्तिकेय संग पूजी जाती 

छढे रूप में कात्यायनी तुम 

जग जननी अधिष्ठात्री हो तुम 

सप्तम रूप कालरात्री पाया 

दर्शन पाकर मन हर्षाया 


आठवी होती महागौरी 

पूजे मालकर सब नरनारी


नवम रूप में सिद्धिदात्री तुम ही 

सुख समृद्धि की दात्री तुम ही 

आओ ढोल नगाडा बजायें

मिलके सब नवरात्री मनाये।


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