कृष्ण जन्माष्टमी
कृष्ण जन्माष्टमी
कृष्ण ने अपनेपन से दुनिया में प्रीत की अनूठी मिसाल बनाई है।
जो ना किया किसी ने, ऐसी करामात करके दुनिया को दिखाई है।।
डाला है मामा कंस ने माता-पिता को सलाखों के पीछे, भाई बन के कराई जग हंसाई है।
वहीं पर जन्म लेकर भादो कृष्ण पक्ष की अष्टमी को,कृष्ण ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।।
खुले हैं सब जेल के ताले, नींद सबको उस वक़्त आई है।
पिता ने रख के डलियां में, यमुना तब चुपचाप पार कराई है।।
दिया है लाल यशोदा को, प्रेम की प्रीत उनमें जगाई है।
सौप कर लाल यशोदा को, सीने में अपने पत्थर की सिला रखाई है।।
यशोदा माँ ने लगाकर हृदय से, मां की भूमिका अभूतपूर्व निभाई है।
लगाया नंद बाबा ने गले उनको, तभी आंखों में आँसू की नमी समाई है।।
बड़ा होने लगा कन्हैया, शरारत की हलचल सी सारे गाँव में आई है।
अपनी मोहिनी सूरत से, गांव बालों के दिलों में बड़ी गहरी छवि बनाई है।।
तुम्हारे होने की भनक, लोगों ने जाकर कंस मामा को बड़ी चतुराई से बताई है।
तुम्हें मारने की तरह तरह की योजना, मामा के हृदय में बड़ी तीव्रता से आई है। ।
भेजा है स्तनों पर जहर लगा कर पूतना को, दूध पिलाने की बारी कृष्ण के निकट आई है।
पिया जब दूध तुमने उसका, छाती से प्राण खींच कर शुद बुद उसकी भुलाई है।।
निकले हैं प्राण पल भर में, सभी के समझ में इस बात की युक्ति ना आई है।
इस तरह से तुमने न जाने कितने राक्षसों से, अपनी जान उन सबसे बचाई है।।
ग्वाल बालों के संग चरा कर गायें, अनोखी तुमने रीत दुनिया को दिखलाई है।
बनाया गोपियों को दीवाना, अपनी बंसी से ऐसी प्रेम की धुन उनको सुनाई है।।
हुआ जब नन्द गाँव पानी पानी, उठा गोवर्धन पहाड़ तुमने सब की जान बचाई है।
नाथ कर कालिया नांग को किया बस में, यमुना के पानी में अमृत की धारा बहाई है।।
कंकर मार कर घड़े में, चोरी करने की चतुराई अपने मित्रों को सिखलाई है।
परेशान होकर बाँधा माँ ने ओखली से, मुंह खोल कर दुनिया की तब सैर कराई है।।
छोड़ कर आ गए वृंदावन, कंस के अत्याचारों पर रोक आ कर लगाई है।
किया वंध मामा का, द्वारकाधीश की उपाधि तब पाई है।।
अनोखा प्रेम किया संग राधा के, दुनिया के लिए एक नई प्रीत जगाई है।
अतुल्य जीवन है तुम्हारा कृष्णा, दुनिया को तुमने एक नहीं राह दिखाई है। ।