STORYMIRROR

kavita Chouhan

Inspirational Others

4  

kavita Chouhan

Inspirational Others

तन्हाई मार गई

तन्हाई मार गई

1 min
14


निकले हम घर से दूर यूँ

कुछ कामकाज की तलाश में

अपनो से जब दूर हो गये

 हमको तन्हाई मार गई।


था बड़ा शहर सफर भी बड़ा

कोई न दिखता अपना खड़ा

मजमा लगा था लोगो का

भीतर तन्हाई मार गई।


उत्सव, त्यौहार हुये सूने

बन गये मानव कुछ खिलौने

मशीनों सी हालत आज हुई

दिल को तन्हाई मार गई ।


भीड़ बहुत है तेरे शहर में

फिर भी बैठा हर जन अकेले

दुनिया दिल की अब हार गई

हमको तन्हाई मार गई।


चीखते बड़े जोर शोर से

फिर भी हर शख्स बहरा है

कहीं सन्नाटा, कहीं खामोशी

तो कहीं तन्हाई मार गई ।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational