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Madhu Gupta "अपराजिता"

Classics

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Madhu Gupta "अपराजिता"

Classics

माँ शैलपुत्री

माँ शैलपुत्री

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पहला दिवस शैलपुत्री का पूजा अर्चना करते विधि विधान सी।

कथा बहुत पौराणिक देवी मां शैलपुत्री की।।

हुआ जन्म दक्ष महल में पड़ा नाम तब सती सी।

विवाह हुआ संग शंकर जी चली कैलाशपति प्यारी सी।।


किया आयोजन यज्ञ दक्ष ने अपने आलीशान महल में।

सती शिव को छोड़ आमंत्रण भेजा हर किसी को।।

उत्सुक बहुत ही सती पिता यज्ञ में जाने को।

बोल उठी पति शिव से नहीं आवश्यक निमंत्रण की।।

सती हटके आगे एक ना चल सकी पति शिव प्यार की।

ले आज्ञा पति की जोर-जोर से निकल पड़ी घर पिता प्यार की।।

पति का सिंहासन न पाकर हुआ महसूस बहुत अपमानित सी।

हुआ व्यवहार गैरों सा हृदय मेंअग्नि जलने लगी भारी सी।।


पति का अपमान सह ना सकी पिता के शब्दों से हुई आहत अकेली सी।

कूद पड़ी उसे हवन कुंड में कर दिया भस्म तन ना की पल की देरी सी।।

तीसरा नेत्र खुल शिव का जब सुनी आत्मदाह की खबर सती की।

अंत आ गया दक्ष का अब क्रोध की ना रही कोई सीमा सी।।


जन्म मिला दोबारा सती को बनी पुत्री हिमालय राज की।

नाम दिया पिता ने पार्वती कलाई शैलपुत्री हिमालय की।।

जीवन सफल कर देती है वो जो भक्ति से पूजा करें उनकी महिमा की।

संकट सब वो हर लेती हैं धैर्य इच्छा शक्ति मन में जगाती सी।।


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