मेंअबला नहीं शक्ति हूं
मेंअबला नहीं शक्ति हूं
हर कविता नारी पर अबला,
बेचारी ही क्यों दर्शाई जाती है,
क्यों उसकी चमक छुपाई जाती है,
पुरुष से छली......
ऐसी क्यों दिखाई जाती है,
अब तो थोड़ा पहलू बदलो,
समय बदला है,सोच भी बदलो,
नारी का अस्तित्व अमर है,
नारी है जननी इस जग में,
नारी से ही पुरुष जन्म है,
नारी ठंडी छांव है तो,
नारी ज्वालामुखी प्रचंड है,
शांत है तो कमजोर न समझो,
पुरुषों जैसा कठोर ना समझो,
जो खुद से पहले दूसरों का सोचें,
फर्ज की खातिर तन मन तोड़े,
हर रिश्ते को आंचल में समेटे,
प्यार से सब निभाती है,
नारी ज्वाला बन जाती है,
जब उसके अपनों पर आफत आती है,
नारी जल है, नारी थल है,
नारी अग्नि प्रचंड है,
नारी अपने में ही पूर्ण हैं ।।
