मैं उत्तराखंड के टिहरी जिले से हूँ, मैं अधिवक्ता हूँ, मुझे वास्तविकता, जो यथार्थ हैं उसे लिखाना अच्छा लगता है, बदलते समाज व रिश्तों को लिखना अच्छा लगता है, प्रकृति प्रेमी हूँ. किसी का परिवार ना टूटे उसके लिए निःशुल्क काम करती हूं.
मैं हूँ तो जेवर की क्या जरूरत और मैं ऐसी नथ तुम्हारे लिए दुबारा बना दूँगा। मैं हूँ तो जेवर की क्या जरूरत और मैं ऐसी नथ तुम्हारे लिए दुबारा बना दूँगा।
बेटियाँ कोई बोझ नहीं उन्हें भी जीने का अधिकार है। बेटियाँ कोई बोझ नहीं उन्हें भी जीने का अधिकार है।
ऐसी अजीब सी परिस्थितियों में आदमी टूट जाता है, ऐसी अजीब सी परिस्थितियों में आदमी टूट जाता है,
जब माँ हमसे दूर रही, तुम हमारे साथ खड़ी रही। जब माँ हमसे दूर रही, तुम हमारे साथ खड़ी रही।
गृहणी की यह दिनचर्या 365 दिन की होती गृहणी की यह दिनचर्या 365 दिन की होती
इस सगाई का ना पहले से मुझे पता था ना प्रवेश को और हमारी सगाई यादगार बन गई। इस सगाई का ना पहले से मुझे पता था ना प्रवेश को और हमारी सगाई यादगार बन गई।
मेरी माँ के आंसू पोछने के लिए कोई भी ना रुका। मेरी माँ के आंसू पोछने के लिए कोई भी ना रुका।