गृहणी
गृहणी
आज समाज में तेजी से महिलाओं का बदलता स्वरूप दिख रहा है, जहाँ सिर्फ एक कामकाजी महिला जो अपने कार्य करने का मेहनताना लेती है उसी को आज कर्मठ और तीव्र समझा जाता है। ऐसी महिलाओं की आज समाज में बहुत इज्जत होती है, उनका उदाहरण सब जगह दिया जाता है, चाहे भीतर से उस महिला के घर में सब चीज अस्त व्यस्त क्यों ना हो, चाहे समय से कोई भी काम ना होता हो, माता, पिता, पति , बच्चे सभी की स्थिति बेकार क्यों ना हो, या यूं कहें घर ना सम्भला जा रहा हो फिर भी वो महिला सम्मान की हकदार होती है, क्योंकि वह एक नौकरी पेशे वाली महिला है।
ठीक इसी के विपरीत जो महिलाएँ घर को सम्भाले है, परिवार के सभी सदस्यों का ख्याल रखती है उनकी जरूरतों का ध्यान रखती है, कब किसको क्या चाहिए हर एक उस बात का ख्याल रखती है, परिवार में यदि माता पिता पति बच्चे कोई रिश्तेदार भी आया हो तो सबका ख्याल 24 घंटे बिना रुके उनके लिए लगातार काम करती हैं, फिर भी उसे वो सम्मान वो प्रेम कभी नहीं मिलता जिसकी वो हकदार है। बिना शिकायत करे फिर भी वह अपना काम मुस्कराते हुए करती है। थक-हार के तब कहीं जाके वो अपनी कमर सीधी करती है, अगली सुबह फिर उन्हीं सब परिवार के सदस्यों की जरूरतों को पूरा करने के लिए मुस्कराते हुए अपनी दिनचर्या की शुरुआत करती।
गृहणी की यह दिनचर्या 365 दिन की होती ना कोई छुट्टी ना कोई मेहनताना फिर भी हंसते हंसते परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए समर्पित रहती है, सिर्फ अपने परिवार की खुशी के लिए।
आज समाज में यह विडंबना ये है कि ऐसी महिलाओं का कोई अस्तित्व नहीं है इन्हें ये कहकर परिचय कराया जाता है कि यह मात्र एक हाउस वाइफ है, फिर और आगे उस गृहणी के लिए कहा जाता है कि ये कुछ करती नहीं है दिन भर घर में रहती है, आराम ही करती रहती हैं, ये क्या जाने कि जॉब क्या होता है ? काम क्या होता है ?
आज का सबसे बड़ा जॉब है "परिवार संभालना " परिवार को प्रेम और एकता से जोड़े रखना , सबको साथ लेकर चलना और जिसके परिवार में यह सब है वही सबसे बड़ा जॉब कर रहा है।
आज परिवारों की बड़ी खराब स्थिति है, आज परिवार अधिकतर बिखेर हुए हैं।
इसलिए जिन परिवारों की महिला शिक्षित हैं और अपना परिवार अच्छे से सम्भाल रही है, उनका सम्मान करे उन्हें प्यार दे,
गृहणी मात्र ही परिवार का सबसे मजबूत स्तम्भ हैं।