झूठ की बुनियाद पर कायम रिश्ता
झूठ की बुनियाद पर कायम रिश्ता
ये कहानी ऐसी लड़की की है जो एक नाजुक शरीर लिए पैदा हुई, लेकिन शायद वो बहनो में बड़ी थी तो घर की जिम्मेदारी उसके ऊपर ही थी। उसने भी इस बात को स्वीकार कर लिया था। कि जिम्मेदारी उसी के लिए बनी।
जैसे वो बड़ी हुई तो बी ए पास कर के वह एक स्कूल में पढाने चली गई । यह स्कूल उसके शहर से 2.30 घंटे की दूरी पर था तो वह वहीं रहा करती थी।
अब वह एक आत्मनिर्भर बन गई, रुपए जो कमाने लगी थी। यहां पढाना लगभग 2, या 3 वर्ष तक चला।
कुछ समय बाद उसके घर में कुछ ऐसी घटना घटी जिसका शिकार उसे भी होना प़डा। उसे तुरंत घर बुलाया गया।
किसी और का किया धरा ठीकरा उसके सिर पर जा फूटा।
अब उसकी पढाई लिखाई भी बंद और घर का काम काज शुरू।
ये भी कुछ सालों तक चला, फिर उसने घर पर ट्यूशन पढाना शुरू किया और बच्चे आने भी लगे।
अब कुछ समय बाद उम्र भी बढ़ती जा रही थी, और घर वालों को चुभने भी लगी थी।
रिश्ते आने शुरू हुए लेकिन वो समझ से परे थे, लेकिन उसकी पसंद ना पसंद के क्या मायने जब वो घरवालों को बोझ लगे।
ये सिलसिला भी लंबे समय तक चला, बेचारी करे भी तो क्या कौन सुने उसकी, करे कोई और भरे वो।
अब जब पानी सर के ऊपर जाता दिखा उसे अजीबोगरीब बातें सुन ने को मिली तो वो भी थक गई।
उसके घर मे एक कॉल आता है जो उसके किसी रिश्तेदार का होता है, वो रिश्ता लेके आता है और तुरंत अपने घर आने का प्रस्ताव देता है।
जब तक बेचारी ये पूछती कि लड़का क्या कर्ता है उसको खरी खोटी सुना दी गई। बैग पैक कर और चुपचाप चलने को कहा गया वो साथ में चली गई।
अब जो महाशय रिश्ता लाए थे उनको जांच पड़ताल करना जरूरी नहीं लगा और लड़का क्या कर्ता है इसकी कोई चर्चा ना हुई।
परिवार अच्छा है इतना बहुत है , जब लड़की की माँ ने पूछा क्या करते हो तो बड़ी यूनिवर्सिटी का नाम बताकर इस वार्तालाप को यहीं समाप्त कर दिया।
झूठ की बुनियाद पर रिश्ता कायम कर दिया। शादी का दिन तय कर शादी कर भी दी गई।
आज भी उस लड़की ने अपने परिवार से कोई शिकायत ना की और सहनशीलता को साथ बांधे अपने इस रिश्ते को चला रही हैं।
लोग कहते आज के इस युग मे ऐसी लड़की नहीं ना ऐसी कोई परिस्थिति ।
लड़कियां बिना शिकायत की अपने परिवार को बनाए रखने के लिए चुपचाप अपना जीवन व्यतित करती हैं।
बेटियाँ कोई बोझ नहीं उन्हें भी जीने का अधिकार है।उनकी भी पसन्द ना पंसद के मायने हैं।