सोने की नथ
सोने की नथ
एक गाँव में 500 परिवार रहा करते थे। वहां सब एक ही जाति के लोग रहते थे, इन्हीं सब परिवारों में से एक परिवार जाना माना था, जो परिवार 8 सदस्यों का हुआ कर्ता था।
तीन भाइयों में से एक भाई की सरकारी नोकरी लग गई।और उस भाई पर परिवार की जिम्मेदारी पड़ गई ।
"" अब नौकरी लगे बड़े भाई की ड्यूटी छटे भाई बहिन और माता पिता की हर एक जरूरत का ख्याल रखने की जिम्मेदारी हुई।
अब जब सरकारी नोकरी में जो भाई था उसके विवाह की बात चली , कुछ समय बाद शादी भी हो गई।
बहु रानी घर आ गई , परिवार की सारी जिम्मेदारी बहु रानी ने सम्भाल ली, समय बीतता गया और छोटी नंद की शादी की बात चली और रिश्ता पक्का हो गया।
"""" भाई के ऊपर शादी की जिम्मेदारी आ गई जेवर, कपड़े तमाम इंतजाम""""" जो शादी करने के लिए पूरे करने पड़ते हैं।
अब बहु रानी की सास बहु से कहने लगी कि अभी जेवर के लिए रुपये है नहीं तो.............................
""""" तुम अपनी सोने की नथ ''जो एक तोले से ऊपर की ""थी, मेरी बेटी को दे दो।
इस बात से बहु रानी सहमत ना थी भला वो अपनी नथ क्यूँ दे, बहु रानी को रोज इस बात के लिए ताने पड़ने लगे,
बहु रानी रोज अपने काम पर जाती सास उसे ताने मारे जाती।
एक दिन बहु रानी के पति ने कहा मैं हूँ तो जेवर की क्या जरूरत और मैं ऐसी नथ तुम्हारे लिए दुबारा बना दूँगा ये मेरा वादा है। अभी घर पर जरूरत है तो छोटी बहिन को दे दो।
भाभी ने अपनी सोने की नथ अपनी नंद को दे दी , जिसे पहन नंद अपने ससुराल चली गई।
वो नंद शायद उस नथ को या यूं कहें उस भाभी के भेंट को जो ना जाने कितनी यादों से जुड़ी और भाभी के माता पिता के प्रेम की प्रतीक थी भूल गई।
जब आया समय नंद के बच्चों की शादी का भाई ने खूब सोना दिया।
अब आई बारी भाई की बेटियों की शादी की तो कुछ ना दिया।
जब हुआ भाई सेवा निवृत्त तो एक रुमाल ना दिया ।
बात किसी के लेने देने की नहीं है बात तो प्रेम, सौहार्द और समय की है।
समय ने करवट क्या ली गिरगिट के रंग आदमियों के शरीर पर दिखने लगे।
आज उस नंद को अपने भाई और भाभी से कोई मतलब नहीं।
घमंड ज्यादा दिन नहीं चल पाता टूटता जरूर है औंधे मुहँ गिरता जरूर है।
"""""" समय आज तुम्हारा तो कल हमारा होगा """""
इस कहानी से ये सीख मिलती है किसी के लिए उतना ही करे जितना वो आपको अपने हृदय में जगह दिए हुए है। अन्यथा अपने और अपने परिवार पर ध्यान दे।