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Vivek Kumar

Inspirational

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Vivek Kumar

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बेटियां

बेटियां

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माँ बनकर मुझे जन्म दिया,

बहन बनकर किया दुलार।

जब भी आई मुसीबत मेरे,

पत्नी बन किया उद्धार। 


सुबह की किरणों जैसी बेटी,

ताजगी देती तन- मन को।

पास जब तुम मेरे होती,

झेल लेता तकलीफों को।


कलयुग की हकीकत को,

कैसे मैं वर्णन कर पाऊं।

दुनिया बदल गया इतना,

फिर भी देख क्यों सरमाऊं।


आज की दुनियां में भी,

अब आगे बढ़ती बेटियाँ।

मान-सम्मान, दुःख दर्द में भी,

आगे रहती हरदम बेटियाँ।

    


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