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Vivek Kumar

Inspirational

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Vivek Kumar

Inspirational

रक्षाबंधन का संकल्प

रक्षाबंधन का संकल्प

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प्रेम और विश्वास का प्रतीक,

स्नेह और दुलार बड़ा ही नीक,

अदभुत अनोखा अटूट बंधन,

मस्तक पर धारित तिल चंदन,

जैसे आकाश और गगन,

वैसे भाई और बहन,

जैसे धूप और छाया,

वैसे अदृश्य प्रेम की माया,

सारे जग में सबसे सच्चा,

धागा जिसमें सबसे कच्चा,

पर कच्चा है कमजोर नहीं,

और टूट जाए वो डोर नहीं,

रक्षा के सूत्र से जिसे पिरोया,

पवन धागों में जिसे संजोया,

रक्षा का संकल्प है जिसमें,

तोड़ दे वो दम है किसमें,

सावन का अनुपम त्योहार,

होता भाई बहन का प्यार,

हर भाई का आज है कहना,

खुश रहना वो मेरी बहना,

संकल्प आज दुहराते है,

तुझे सशक्त सबल बनाएंगे,

फौलाद जैसे जीवट बनाएंगे,

ताकि पकड़ न सके कोई तेरा हाथ,

ऐसे दूंगा सदा ही तेरा साथ,

मगर विपरीत परिस्थितियों में,

जब अपनी रक्षा तू खुद करेगी,

धारा तुझपे नाज करेगी,

संकल्प पूरा होगा हमारा,

देखेगा संसार ये सारा,

बहन का आशीष भाई का प्यार,

ऐसा अनुपम है यह त्योहार,

रक्षा का जिसमें गहरा बंधन,

कहलाता है वो रक्षाबंधन।।

       


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