इच्छाएं अधूरी ही रह जाएँ तो बेहतर है
इच्छाएं अधूरी ही रह जाएँ तो बेहतर है
कुछ ख्याल और सपने पूरे न ही हों तो बेहतर है
कुछ फूल फुलवारी में मुरझा ही जाने चाहिए
यह वल्लरियाँ ही मरहम बनती हैं
मर्यादा ही है की तुलसी के पत्ते तोड़े नहीं जाते
पर आवश्यकता ही है की इनसे औषधि बनती है
और तुलसी की करुणा ही है की वो इन्हें खुद से अलग कर देती है
नदी कितने संघर्ष कर,
कितनी चट्टानों से द्वंद्व कर,
जलाशयों को भरती है,
अपने रोम रोम से भिन्न कर इन अश्रुओं का त्याग करती है
है ममता उसके मन में भी
पर परोपकार सर्वोपरि समझती है,
वो सबका सिंचन करती है,
इच्छाएं कुछ वंचित हो जाएं, मुकम्मल होने से
तो ही बेहतर होता है
कुछ प्यालों के टूटने से ही अन्य जंतुओं का जीवन सार्थक होता है
यह इच्छाएं अधूरी ही रह जाएँ
तो बेहतर है !