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Preetam Singh

Inspirational

4.0  

Preetam Singh

Inspirational

नारी तेरे रूप अनेक

नारी तेरे रूप अनेक

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नारी तेरी एक पहचान है,

मिला है जो कुछ तुझे ,

सिर्फ तेरी ही अपनी मेहनत है।

रूप तेरे अनेक है कैसे?

बेटी, बहू ,पत्नी ,और मां जैसे,

प्रकृति का रूप है दूसरा 

जन्म लिया है इस संसार में।

तू ही काली, तू ही दुर्गा, लक्ष्मी तू ही सरस्वती हो,

सारे कष्टों को सहकर परिवार एक बनाती हो।

ऋण तेरा न दे सका है कोई,

सब के कर्म से तेरा कर्म है भारी।

और देश का क्या बखान करूं,

हे भारत की नारी तेरी ही आरती करूं।

इस मिट्टी से तेरा क्या नाता,

जीवन ही तुझसे जन्म है लेता।

मार्गदर्शक तू है अपने परिवार का,

मर्म तुझे है सबसे ज्यादा अपने घर बार का।

नारी से ही पृथ्वी का अस्तित्व है,

पुरुषों से ज्यादा तू ही सतीत्व है।

तू ही अनुसूया तू ही अन्नपूर्णा,

तेरे बिना इस जीवन का कुछ भी न करना।

जीवन भी तुझसे है और मरण भी तुझमें है,

हे नारी और हे धरती तू ही सबकी माता है।

           

                   



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