STORYMIRROR

Preetam Singh

Fantasy

3  

Preetam Singh

Fantasy

लम्हे जिंदगी के

लम्हे जिंदगी के

1 min
147

सोचता हूं जब भी कभी उन लम्हों को,

क्या ये वही लम्हे हैं, जिंदगी के,

याद आते हैं पल और भिगोता हूं पलकों को।

तुम्हारी दोस्ती है सबसे खास मेरे लिए,

क्या ये वही दोस्ती है ,जिंदगी की,

और है खास मेरी जिंदगी के लिए।

ग़म है मुझे तुझसे बिछड़ने का,

क्यूं हुए अलग हम तुम जिंदगी में,

कुछ ढूंढो बहाना हमारे मिलने का।

कितना प्यारा था साथ हमारा यूं,

वीरान सी हो गई जिंदगी तुम्हारे जाने से,

मिलना ही न था तो बिछड़ना हुआ जरूरी क्यूं।

आती है हंसी होंठों पे सभी के,

कुछ यादें पुरानी ताजा करके,

लगता है यही वो लम्हे थे जिंदगी के।

            


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy