लम्हे जिंदगी के
लम्हे जिंदगी के
सोचता हूं जब भी कभी उन लम्हों को,
क्या ये वही लम्हे हैं, जिंदगी के,
याद आते हैं पल और भिगोता हूं पलकों को।
तुम्हारी दोस्ती है सबसे खास मेरे लिए,
क्या ये वही दोस्ती है ,जिंदगी की,
और है खास मेरी जिंदगी के लिए।
ग़म है मुझे तुझसे बिछड़ने का,
क्यूं हुए अलग हम तुम जिंदगी में,
कुछ ढूंढो बहाना हमारे मिलने का।
कितना प्यारा था साथ हमारा यूं,
वीरान सी हो गई जिंदगी तुम्हारे जाने से,
मिलना ही न था तो बिछड़ना हुआ जरूरी क्यूं।
आती है हंसी होंठों पे सभी के,
कुछ यादें पुरानी ताजा करके,
लगता है यही वो लम्हे थे जिंदगी के।
प्रीतम सिंह