लम्हे जिंदगी के
लम्हे जिंदगी के


तुमसे ही थे मेरे लम्हे जिंदगी के,
और तुमसे ही थी मेरी जिंदगी ,
करूं क्या बताओ तुम ही मुझे,
जो लौटा सकूं उन प्यारे ख्वाबों को।
लम्हे तो लम्हे हैं क्या करूं,
लौटा न सकूं पल मोहब्बत के ,
आ सकते हो तो आओ तुम्हीं,
वरना याद करूं में उन प्यारी रातों को।
बिछड़ के अब मुझे नहीं रहना है,
आ भी जाओ अब मुझे गले लगना है,
ना परेशान कर मुझे ओ साहिबा,
करो याद उन सभी मुलाकातों को।