नारी-शक्ति
नारी-शक्ति
नारी, तुम अपनी आवाज़ बुलंद करो !
और यूँ चुप्पी न साधो !
तुम अबला नहीं हो, नारी !
अन्यान्य-अविचार-अमानषिक
अत्याचार के आगे घुटने न टेको !
नारी ! तुम दुर्गतिनाशिनी बनो !
तुम माँ काली बनो !
तुम अबला नहीं हो, नारी !
तुम से ही सृष्टि-स्थिति- जीवन-संरचना है,
नारी !
तुम बिन ये का़यनात भी खुबसूरत नहीं...
तुम देवी-स्वरूप हो, नारी !
तुम इस दुनिया की सबसे
बेशक़ीमती दौलत हो !
नारी, तुम पिता की नयनमणि हो ...
तुम भाई का गर्व हो ...
तुम सुपुरुष की जीवनसंगिनी हो ...
तुम सखी हो...तुम ही ममतामयी माँ हो...
नारी, तुम अनन्या हो...