"हाँ मैं अब बदलाव चाहती हूं "
"हाँ मैं अब बदलाव चाहती हूं "
हाँ अब मैं बदलाव चाहती हूं,
जब पैदा हूं तो सबके चेहरों पर,
एक बड़ी सी मुस्कान चाहती हूं,
पूरे परिवार के साथ मैं जश्न मनाना चाहती हूं..
हाँ अब मैं बदलाव चाहती हूं।।
मैं बाबा के कंधो पर बोझ नहीं,
उनकी ताकत बनना चाहती हूं,
अपनी अम्मा के सपनों की,
उड़ान मैं भरना चाहती हूं,
अपने घर में पराई ना बनकर,
घर की पहचान बनना चाहती हूं।
हाँ अब मैं बदलाव चाहती हूं।।
घर से बाहर निकलने पर,
सुरक्षित आसमान चाहती हूं,
ना चेहरों पर तेजाब का खतरा और,
और ना ही आबरू लूटने का डर मैं चाहती हूं,
हाँ अब मैं बदलाव चाहती हूं।।
खुद के पैरों पर खड़े होकर,
अपनी एक नयी पहचान चाहती हूं,
अपने हौसलों के पंखो से,
अपना भी नाम बनाना चाहती हूं..
हाँ अब मैं बदलाव चाहती हूं,
हाँ अब मैं बदलाव चाहती हूं।।
