खुद को खोजती हूँ, अपनी कलम से अपने विचार रखती हूँ ✍️✍️
ऐ धरा, तू इतनी अशांत क्यों है, हाँ मानती हूँ कितना कष्ट है तेरे कण कण में. ऐ धरा, तू इतनी अशांत क्यों है, हाँ मानती हूँ कितना कष्ट है तेरे कण कण में.
जब दिल कोई दुखा जाता है, अपने शब्दों के तीरों से घायल कर जाता है, जब दिल कोई दुखा जाता है, अपने शब्दों के तीरों से घायल कर जाता है,
मैं बाबा के कंधो पर बोझ नहीं, उनकी ताकत बनना चाहती हूं. मैं बाबा के कंधो पर बोझ नहीं, उनकी ताकत बनना चाहती हूं.
मेरे ख्वाबोँ की पोटली में हैं रंग हज़ार। मेरे ख्वाबोँ की पोटली में हैं रंग हज़ार।
बहुत हुआ ये कहर, बैठाया तूने घर, अब आराम से सभी को रहने दें बहुत हुआ ये कहर, बैठाया तूने घर, अब आराम से सभी को रहने दें
वो एक हाथ में पिचकारी और दूजे में ग़ुलाल , जब करते थे मोहन और रिंकी के गाल लाल। वो एक हाथ में पिचकारी और दूजे में ग़ुलाल , जब करते थे मोहन और रिंकी के गाल लाल...