Priyanka Daksh
Literary Captain
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खुद को खोजती हूँ, अपनी कलम से अपने विचार रखती हूँ ✍️✍️

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"वो है भोला भड़ारी करता नंदी की सवारी, गले में है सर्पो की माला, वो पीता हैं विष का प्याला. मेरा भोला डमरू वाला, मेरा भोला हैं निराला.. उसकी अदा बहुत हैं मोहक, वो हैं दुनिया का रक्षक "..

"मुझे हो कोई तकलीफ तो आँखों से ही पढ़ लेती हैं, वो मां ही हैं जो बिना कहे,सब कुछ समझ लेती हैं, कोई शब्द नहीं तेरी ममता के लिए, बिना शब्द ही तू मेरी हर बोली समझ लेती हैं"..


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