नारी
नारी
नारी हो तुम शक्ति हो। ईश्वर की एक अनूठी कृति हो।।
तुम्हारी ममता प्रतिभा योग्यता की नहीं है कोई समता।
हर रूप में नारी तुमने जग को दिखाई है अपनी विलक्षण क्षमता।।
जो तुम बढ़ चली तो पाया तुमने हर मुकाम है।
कल्पना चावला लता मंगेशकर लक्ष्मीबाई जैसे पाए तुमने नाम हैं।।
हर क्षेत्र में सफलता हासिल तुमने की है।
घर-परिवार से लेकर कार्यक्षेत्र की कुशलता स्पष्ट तुम में दिखलाई दी है।
आज की नारी सर उठा कर आगे तुझको बढ़ना है।
चेहरे पर मुस्कान को लेकर तुझको कई नए आयाम चढ़ना है।।
कठिनाई न रोक सके ऐसी चट्टान सी दृढ़ हो तुम।
हाँ माना कोमल हृदय तुम्हारा पर कालिका का एक रूप भी हो तुम।।
अपनी हर जिम्मेदारी को बखूबी तुम निभाती हो।
जो अपनों पर आँच आए तो दुनिया से लड़ जाती हो।
कहीं कुशल गृहिणी तो कहीं घर का बेटा हो।
ऐसा कोई नहीं काम जो ना कर सको तुम ऐसा हो।।
