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ANKITA SHUKLA

Abstract

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ANKITA SHUKLA

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दृढ़ निश्चय

दृढ़ निश्चय

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डर के आगे झुकना, ऐ बंदे तेरी शान नहीं

मुसीबतों से टूट जाए, जो वो तू इंसान नहीं


तुझको अभी कई चुनौतियों से टकराना है

अपनी अलग पहचान को, तुझको बनाना है


नहीं है रुकना हार के

है लड़ना हर तूफान से

है सत्य तेरी बाजुओं में

न घबराना कभी आँधियों में


क्योंकि

डर के आगे झुकना, ऐ बंदे तेरी शान नहीं

मुसीबतों से टूट जाए जो, वो तू इंसान नहीं


अपनी शक्तियों को जान ले

सपने सच करने की ठान ले

हर राह तू आसान कर

अपने हुनर को जान कर


न ले क्षणिक विश्राम तू

कर जा कुछ ऐसा काम तू


क्योंकि

डर के आगे झुकना, ऐ बंदे तेरी शान नहीं

मुसीबतों से टूट जाए जो, वो तू इंसान नहीं


हर यत्न संभव से जुड़ी

उन त्रुटियों में सुधार कर

पग धर निडर, न निराश हो

हर तेरे पंथ प्रकाश हो


खुद पे तू विश्वास कर

औरों से कुछ न आस कर


क्योंकि

डर के आगे झुकना ऐ बंदे तेरी शान नहीं

मुसीबतों से टूट जाए जो वो तू इंसान नहीं


तेरी विजय निश्चित है गर्

तू न थके कहीं हार कर

पा जाएगा वो हर शिखर

जिसका भी तू हकदार हो


क्योंकि नहीं रुकना तुझे

जब तक न लक्ष्य हाथ हो


क्योंकि

डर के आगे झुकना ऐ बंदे तेरी शान नहीं

मुसीबतों से टूट जाए जो वो तू इंसान नहीं।


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