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ANKITA SHUKLA

Inspirational

4.7  

ANKITA SHUKLA

Inspirational

आज़ादी की खोज

आज़ादी की खोज

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आज़ादी विचारों की, हो आज़ादी खोज की।

आज़ादी उड़ान की, हो आज़ादी निर्माण की।।

नित नया कुछ गढ़ने की, चलो करें तलाश।

आज़ादी हम पा जाएँ, करे खुद पर यह विश्वास।।

देश हुआ आज़ाद मेरा, सन् 1947 में।

फिर भी आज भी रोड़ें हैं, कई बेटियों की राहों में।।

बेटी का विकास, फैलाता देश में प्रकाश।

फिर भी ये समाज, क्यों करता उन्हें निराश।।

कहीं वेशभूषा पर सवाल, तो कहीं आने-जाने पर बवाल।।

कई उस पर रोक-टोंक है, लोगों की कुंठित सोच है।।

क्यों उसका बाहर निकलना, कुछ लोगों को खलता है।

क्यों देश में कोई वहशी, उसके सम्मान को छलता है।।

क्यों बेटी की सुरक्षा, अभी तक महज़ इक स्वप्न है।

सीता द्रोपदी के युग से अब तक, यह एक बड़ा प्रश्न है।।

आज इक्कीसवीं सदी में करें हम यह खोज।

समाज के लोगों की, कैसे हो आज़ाद सोच।।

देश मेरा प्रगति करे और छू ले हर ऊँचाई।

न हो बेरोजगार कोई, हो सबकी अपनी कमाई।।

न हो भुखमरी कहीं और न हो कोई संकट।

देश लड़ रहा है मेरा आज, कोरोना से डटकर।।

आज कई योद्धा, डॉक्टर्स पुलिस के रूप में।

कर रहे देश की रक्षा, इस विषम सापेक्ष में।।

वैश्विक महामारी आज हमारे सामने आई है।

डॉक्टर्स ने जनमानस की रक्षा में, अपनी जान गँवाई है।।

गरीबी,बेरोजगारी,भुखमरी,महामारी, मेरे देश से मिट जाए।

आओ खोजें वह आज़ाद भारत, जहाँ हर जनमानस मुस्काए।।



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