होली त्योहार
होली त्योहार
खुशियों की एक रंगबिरंगी फुहार
होली पर होती है, रंगों की बौछार
सब लोग आपस मे गले मिलते है,
मित्र या हो दुश्मन के गले कोई चार
शत्रुता का खत्म हो जाता है, भाव
होली है, एक ऐसा पावन त्योहार
शत्रु भी किया जाता, मित्र स्वीकार
असत्य पर सत्य की चलती तलवार
पर आजकल फैला इतना भ्रष्टाचार
हिरणकश्यप के भी लोग यहां है, बाप
ईर्ष्या, द्वेष, झूठ आदि फैलाते हजार
एक होलिका जलाने से क्या होगा यार
जब घर-घर बैठे हुए रावण, बेसुमार
पहले आस्तीन सांपो पर करो, प्रहार
तभी सुंदर होगा, होली का त्योहार
बिना रोशनी के यह जग है, बेकार
इस होली बुराइयों का करेंगे, प्रतिकार
भीतर दुर्गुणों पर करेंगे, भीषण प्रहार
जब तक न मरेगा भीतर दैत्य खूंखार
तब तक न मनाएंगे होली, हम ईमानदार
पहले भीतर दैत्यों का करेंगे संहार
फिर मुबारक हो तुम्हे होली त्योहार
घूस, अहम, माया आदि बुरे विचार
जला देंगे, होलिका अग्नि में इसबार
बचा लेंगे, भीतर बसा हुआ प्रह्लाद
तभी आयेगा मजा हमे इस त्योहार
फिर हम-तुम ख़ूब उड़ाएंगे गुलाल
जब होगा, भीतर से सत्य-सिंहनाद।
