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Krishna Nandan

Inspirational

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Krishna Nandan

Inspirational

कोरोना से देश बचाने चले हैं

कोरोना से देश बचाने चले हैं

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हम जीवन बढ़ाने चले हैं।

कोरोना को रोक देश बचाने चले हैं।

हम में समाहित वो अंश हैं। 

जो रोक रहा कोरोना का वंश है।


प्रयत्नशील चिकित्सा में हो चले हैं।

अपनों का साथ कुछ समय के लिए खो चले हैं।

हम जीवन बढ़ाने चले हैं।

कोरोना को रोक देश बचाने चले हैं।


ढेर कर दिए सारे शस्त्र मानवीय संहार के।

कोरोना ने बिना किसी प्रत्यक्ष प्रहार के।

उसके प्रहार को दबाने चले है।

कोरोना को रोक देश बचाने चले हैं।


प्रकृति ने खेला ऐसा खेल है।

रोकना हमें अपनों का मेल है।

जैसे हम ट्रेन के डिब्बे में बंद

और ये ना रुकने वाली सपनों की रेल है।

अपने सपनों को दायरा बढ़ाने चले है।

कोरोना को रोक देश बचाने चले हैं।


कल के लिए सोचना है।

आज घर पर कदमों को रोकना है।

आज यह कड़वी सच्चाई है इसे हमें पीना है।

क्योंकि कल है और हमें जीना है।

कदमों को घर में बांध सबको बताने चले है।

कोरोना को रोक देश बचाने चले हैं।


जान जोखिम में डाल डटे हैं।

भले ही मार रहे डंडे है।

हम आज डटे है कराई से।

ताकि कल न हो किसी की विदाई रुलाई से।

कड़ाई से ये जताने चले हैं।

कोरोना को रोक देश बचाने चले हैं।


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