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achla Nagar

Inspirational

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achla Nagar

Inspirational

पथिक

पथिक

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काँटों भरा हो पथ मेरा, मुश्किलें

हज़ार हो चाहता हूँ मैं सदा,

मेरे अधरों पे ये पुकार हो

कि डरूंगा, ना झुकूंगा, ना रुकूंगा

मैं पथिक..


रक्त-रंजित हो पग मेरे,

या रूह प्यास से बेहाल हो

मौत से हो सामना, या ज़िन्दगी भी

मौहाल होचाहता हूँ मैं सदा,

मुझे बस यही ख़्याल हो

कि डरूंगा, ना झुकूंगा, ना रुकूंगा

मैं पथिक...


छा जाये अँधेरा घना,

और मंज़िल अभी भी दूर हो पथ हो

अग्निपथ बना, और चाहे भाग्य भी क्रूर हो

चाहता हूँ मैं सदा, मुझे बस लगन

ज़रूर हो कि डरूंगा, ना झुकूंगा, ना रुकूंगा

मैं पथिक...


न थकूं, चला चलूं, पतझड़ हो

या बहार होहो चाहे सम्मान मेरा,

या मेरा तिरस्कार हो

चाहता हूँ मैं सदा, मेरा बस यही सरोकार हो

कि डरूंगा, ना झुकूंगा, ना रुकूंगा

मैं पथिक


टूटता हो हौसला, या कांपता हो तन मेरा

धुंधला रही हो मेरी नज़र, डगमगा रहा हो

प्रण मेराचाहता हूँ मैं सदा,

बस कहता रहे ये मन मेरा

कि डरूंगा, ना झुकूंगा, ना रुकूंगा

मैं पथिक


उम्र भर पथिक रहूं और यात्रा रहे जीवन मेरा

मिले ना मिले मंज़िल मुझे हो रास्ते में

दफ़न मेरे चाहता हूँ मैं सदा, बस रहे यही स्वपन मेरा

कि डरूंगा, ना झुकूंगा, ना रुकूंगा

मैं पथिका।


साहित्याला गुण द्या
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