वीरांगना
वीरांगना
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मोहनी मुस्कान से मोह मन मेरा लिया,
भावनाएं भव्य भूषित प्रेम परिपोषित किया।
है हृदय बेचैन व्याकुल बिन तुम्हारे ,
आंसुओं से अभिसिंचित आमंत्रण दिया।
मैं नहीं चाहूं मिलन प्रेम रहने दो अधूरा ,
बांसुरी के स्वर सजाकर दिल बना है तानपूरा।
चाह ना है शिखर छू लूं प्रेम का ,
चाहना है पी लूं पीयूष तेरे प्रेम का।
चाहना है साथ की प्रेम पथ पर तुम्हारी,
चाह ना है डूब जाऊं वेदना विप्लव की बारी।
भेद ना मेरे हृदय में आशीष वर की कामना,
साथ जीना मरना भी संग संग मेरे हृदय की चाहना।