नृत्य करती महिला
नृत्य करती महिला
नृत्य करती महिला ने लोगों का मन मोह लिया....
संगीत के बोलबाला में,
एक महिला नृत्य करती है।
भीड़ के सामने वह अपना स्थान लेती है,
जो शालीनता से सुशोभित औ' अनुग्रह का प्रतीक है।
उसके पैर फुसफुसाहट की तरह फर्श को चूमते हैं,
धुनों के रूप में हमेशा के लिए उसका मार्गदर्शन करते हैं।
लयबद्ध प्रवाह में उसकी आत्मा चढ़ती है,
स्वतंत्रता का नृत्य, उसका सार उड़ता है।
पंखों की तरह खुलती हैं उसकी सुंदर भुजाएं,
हर गति के साथ अनकही कहानियां।
वह शुद्ध प्रसन्नता के साथ घूमती है,
उसकी उपस्थिति चमकती है एक चमकदार रोशनी सी।
उसकी पोशाक, जीवंत रंगों का एक सागर है,
उसके भीतर के आनंद को दर्शाता है।
भीड़ मंत्रमुग्ध हो गई, मौन विस्मय में,
साक्षी सौंदर्य को कोई दोष नहीं दे सकता।
रोम-रोम से छलकता है उसका जुनून,
उसके नृत्य में, प्रेम की कहानी और भी बहुत कुछ।
उसका शरीर कहानियां, फुसफुसाहट और चीखें सुनाता है,
प्रेम और हानि की, आशाओं और सपनों की।
वह बेफिक्री से घूमती है, कला का बवंडर है,
अपने मंत्रमुग्ध कर देने वाले हिस्से से सभी को मंत्रमुग्ध कर देती है।
और जैसे ही संगीत धीरे-धीरे फीका पड़ जाता है,
महिला अपना अंतिम बोलबाला लेती है।
तालियों की गड़गड़ाहट से, भीड़ गूँज उठती है,
क्योंकि उसने उनकी आत्मा,
औ' उनके दिल औ' दिमाग को छू लिया है।
नाचती हुई एक महिला का देखने लायक नजारा,
आंदोलनों की एक सिम्फनी, एक अनकही कहानी।
लय के दायरे में, वह अपनी शांति पाती है,
औ'अपने नृत्य में, उसकी आत्मा को मुक्ति मिलती है।