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संजय असवाल "नूतन"

Fantasy Others

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संजय असवाल "नूतन"

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नासमझ भोली जनता..!

नासमझ भोली जनता..!

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नासमझ भोली जनता 

हर बार इन्हें जिताती है 

नेताओं के कोरे वादों के 

जाल में फंसती जाती है।

वो हर बार चुनावी मौसम में 

निर्लज्ज हाथ जोड़े आ जाते हैं 

चिकनी चुपड़ी बातों से 

भोली जनता को भरमाते हैं।।

निरी नासमझ भोली जनता भी

उनके झांसे में आ जाती है 

विधायक/सांसद उन्हें बनाकर

खुद संसद तक पहुंचाती है।

पांच साल सत्ता में बैठे 

ये भी खून खूब चूसते हैं 

जनता की गाढ़ी कमाई से 

अपनी तिजोरियां भरते हैं।।

जनता से किए वादों की 

याद इन्हें तनिक नहीं आती है 

इनकी बेगैरत सत्ता लोभ 

देख दीमक भी शर्माती है।

जनता को नियम कानूनों का 

पाठ हर बार ये पढ़ाते हैं 

कानून की नोक पर रख उन्हें

बंदर सा नाच नचवाते है।।

अपने कामों के लिए जनता

जब इनके चक्कर में आ जाती है 

लाल फीताशाही के मकड़ जाल में 

फंस कर मारी जाती है।

ये नेता भी जनता के सपनों का 

खूब दोहन करते हैं 

अपने एजेंडे के लिए 

नित नए ढोंग स्वांग ये रचते हैं।।

हर बार घोषणाओं के सब्ज बाग

ये लिए जेब में घूमते हैं 

जनता की उम्मीदों पर पानी फेर

विश्वासघात ये करते हैं।

जनता के सरोकारों से 

इन्हें है ना कोई लेना देना 

टूटी सड़के, बिजली, पानी की बातों से 

इन्हें है मुंह फेर लेना।।

इनकी फितरत सत्ता के खातिर 

गिरगिट सा रंग बदलती है

भ्रष्टाचार के दानव बन

नित नए रूप ये धरती है।

लंबी लंबी कतारों में 

सिर्फ जनता ही नजर आती है 

पांच साल के राजयोग में

नेताइन ही शौक फरमाती है।।

अपने रिश्तेदारों पर ये 

खूब करम करते हैं 

खनन का पट्टा, ठेकेदारी

सरकारी नौकरी भी उनके नाम लिखते हैं।

बेशर्म, ये शर्म का चोला

यहां वहां लिए फिरते हैं

सफेदपोश बन ये व्यापारी

सदा नकाब ओढ़े रहते हैं।।

राजनीति की गणित में जनता को 

हरबार ये फसाते हैं

दिन में रंगीन दिवा स्वप्न

ये बारंबार दिखलाते हैं।

जब मछली सी जनता इनके जाल में 

खुद आकर फंस जाती है 

अपनी नासमझी के कारण

खुद ही छली जाती है।।

जनता को नादान समझ

ये खुद को बड़े होशियार समझ बैठें हैं 

अनपढ़, चोर, लुटेरे सत्ता में आकर 

देखो कैसे ऐंठे हैं।

जिस दिन भोली नासमझ जनता 

अपने में आ जाएगी

सत्ता मद में चूर इन्हें 

अच्छा सबक सिखाएगी।।

सत्ता के गलियारों में फिर 

हाहाकार मच जाएगा

जनता की ताकत का 

अहसास इन्हें भी हो जायेगा।।।



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