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Jyoti Deshmukh

Fantasy

4  

Jyoti Deshmukh

Fantasy

शांति

शांति

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पहला दिन- सफेद रंग 

विषय- शांति, पवित्रता 


दूर हूँ परदेश में यहाँ सिर्फ़ तन्हाई मिले 

गुज़रा ज़माना याद आये आओ फिर गाँव चले.

शहर के कोलाहल/ हलचल से दूर मन को जहाँ शांति और सुकून मिले 


जहाँ बचपन की पुरानी यादें जुड़ी हो 

हर तीज त्यौहार की रौनक जहाँ मिली हो 

प्रेम भाव, भाइचारे की पवन जहाँ चलती हो 

अनेकता में एकता की परिभाषा जो गाँव की मिट्टी कहती हो 

वह देश के गाँव जहाँ की मृदु भाषा में मिश्री घुली हो 

दीपावली के दीयों से रोशन घर- आंगन हो होली में गुलाल से सबके गाल रंगे हो 

जहाँ के कण-कण में प्यार झलकता हो 

आओ फिर गाँव चले जहाँ शांति सुकून मिले 


वो गाँव के मेले बहुत याद आते हैं 

वो झूला झूलने, वो मिट्टी और लकड़ी से बने खिलौने से खेलना 

वो ठंडा बर्फ का गोला खाना, वो रस भरी मीठी गोली,

वो रंग बिरंगी चूड़ियां जो बहन को उपहार में हम लाए हो 

आओ फिर गाँव चले जहाँ शांति और सुकून मिले 


वो पीपल के नीचे का चबूतरा 

वो बचपन के खेल खिलौने 

गुड़ियों का ब्याह रचे हो 

जहाँ सूरज की किरणों का रोशन सवेरा हो 

भोर में चिडियों की चहकती सरगम, फूलो की महक 

आम के बाग से आम चुरा कर खाना 

वो दोस्तों के साथ मस्ती, सकरी पगडंडी पर साइकल चलाना 

ट्रेक्टर की आवाज कानो में पड़ना 

खेतों में लहलहाती फसल का पकना 

आसमान से पानी का गिरना पतों पर बूँदों का हर पल फिसलना

यादों के पन्नों का फिर उभरना 

गुज़रे लम्हे याद आये आज पुरानी यादें  से तड़पते हो

पापा के साथ गन्ने के खेत में छिपकर उन्हें सताना 

आँखों से आंसू छलक आए हों 

खुशहाली और संस्कारों की नींव जहां पनपी हो 

आओ गाँव चले जहां शांति और सुकून मिले 


प्यार और अपनापन हो जहाँ बुजुर्गों का आशीर्वाद, माँ, बहन का प्यार मिले 

आज भारत अपने वतन वापस आने का मन करे 

देश की माटी को छूने को दिल करे 

वहीं मिलेगा मेरे दिल को सुकून 

आओ फिर गाँव चले जहाँ शांति और सुकून मिले 



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