मौसम की खुशबू
मौसम की खुशबू
मौसम की खुशबू
पेड़ो को मत काटो
फूलों को मत काटो
धरती की हरियाली
अब बची रहने दो
बच्चों को खेलने दो
बाग बगीचों में
झूलने दो झूला
अमराई के नीचे
नदियों को स्वच्छ रखो
उनकी उम्र बढ़ने दो
साथ निभायेंगे सदा
करके देखो तो सही
हवा को अल्हड़ अलमस्त
स्वछंद विचरने दो
उपवन, लताकुंज में
मोरों को नाचने दो
कलुषित न करो मानव
बसंती बयार बहने दो
मौसम की खुशबू को
अब मत खोने दो
पहाड़ों के रंग बने रहे
बदरंग न होने पाये
सबका सपना आकार लेगा
कुछ देर ठहर के देखो।