वर्ष का अंतिम गीत
वर्ष का अंतिम गीत
आओ वर्ष का अंतिम गीत
संग संग गुनगुना ले हम
कौन जाने कब कहाँ
बिछड़ने का मौसम आ जाए
बिन तुम्हारे कुछ कहे
हम सुन ले अनकही
बिन मेरे लब खुले
गुन लो तुम मनकही
साथी आया है दिसंबर
लेकर सर्दियों का मौसम
जैसे हर वर्ष आता है
नियम से वह तो यहाँ
सर्दियों के मौसम का
रख के ख्याल हम भी
बुन लिया है सतरंगी ख्वाब
एक सात रंगों के बुने स्वेटर में
साथ तुम्हारा है जो
अंतिम गीत सुनहरा हो
कोशिश तो है यही
भावों से ही भरा हो
रीत पुरानी है उसे अपना कर
जी ले संग संग हम
सपना देखे आंखें हमारी
सपने में ख्वाब अधरों पर सजे जैसे
आहटें आती हैं उन दरख्तों के
जो कभी साक्षी थे मीत बन के
अलगनी पर टांग रखें ख्वाब थे
उतर आए चांद के साथ धरती पर वो !

