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Shravani Balasaheb Sul

Fantasy

4  

Shravani Balasaheb Sul

Fantasy

परछाई

परछाई

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जब खुदकी परछाई देखी

तो लगा कि सपनों की दुहाई देखी


कदम दर कदम बढ़ती रही जो

खुद के भीतर एक नामुमकिन सी जुदाई देखी


न जानें कितनी बार देखी

एक आकृति में सुकून की छाया आरपार देखी


इस चित्र की भले कोई विज्ञानकथा

फिर भी उसमें एहसासों की मारामार देखी।


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