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Sandeep Kumar

Romance Fantasy Inspirational

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Sandeep Kumar

Romance Fantasy Inspirational

जो कल तक हंसता था

जो कल तक हंसता था

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जो कल तक हंसता था

अगर आज वह मौन है

तो समझ जाना

इसका दिल हो गया गौन है।।


कोई उड़ा दी है निंद इसका

अब आता निंद नहीं निंद ढोंग है

उसका काया ना उसके साथ है

वह धूम रहा उस जोन में है।।


वह बेहोश मगरुर चुर चुर 

दिखता जैसे रोश में है

वह नशा ही ऐसा है कि 

रह पाता ना कोई होश में है।।


खो देता है सारा आलम

हो जाता बेहोश है

डेबिट क्रेडिट खाली कर देता 

तब आता होश में है।।


तब तक बहुत देर हो जाता 

खो जाता सारा आलम है

बन जाता बुद्धू भैया 

तब समझ में आता हम बालक है।।


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