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Sandeep Kumar

Inspirational

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Sandeep Kumar

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कोरे कागज सा कोरा अपना दिल रखना

कोरे कागज सा कोरा अपना दिल रखना

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सांसों से सांसे मिलाकर एक हर्प में चलना 

बिन कहे ही एक दुजे कि भावना का कद्र करना

बड़ी ही मुश्किल है यारों इस कलयुग में 

सफेद कपड़े पर बदरंग दाग को धुलना।।


जीवन कि धारा को नदी सा निखार कर चलना

प्रवाह की गति को एक समान बना कर रखना

बड़ी मुश्किल है इस कलयुग की दुनिया में

तिल्ली जला कर आग से बचकर निकलना।।


बहुत ही कम उम्र में देख चुके हैं

वक्त के साए में बुनियाद का हिलना 

कुछ ही दरमिया में नियत और नियती बदल जाता है

हो ना विश्वास तो पैसा उधार देकर देखना।।


आसमा भले ही मुट्ठी में हो पर कदम जमीन पर रखना

कम ही सही लेकिन मुलाकात सबसे करते रहना

न जाने कब कैसी घड़ी आ जाएगी किसका साया में जाना पड़ जाएगा

इसीलिए बत्तीसी दिखाने से पहले ज्वान पर लगाम रखना।।


ना किसी की इच्छा को कुचला ना

ना किसी पर शासन का जिज्ञासा रखना

दोस्तों मृत्यु लोग है यह धारा

कोरे कागज सा कोरा अपना दिल रखना-२।।



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