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Sandeep Kumar

Others

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Sandeep Kumar

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अगर आज न संभला तो बेहतरीन भविष्य न पाओगे आज के खजाने से

अगर आज न संभला तो बेहतरीन भविष्य न पाओगे आज के खजाने से

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रुख हवा का मोड़कर

चल आगे जंजीरों को तोड़कर

कब तक बंधे रहोगे माया‌ नगरी में

छोड़ सब, बढ़ा कदम हौसले के चादर ओढ़ कर।।


नहीं तो सिमट कर रह जाओगे

जो कर रहा है, वही करते रह जाओगे

आलाप विलाप व समस्या के आगे

झुके हो,झुकोगे,झुकते रह जाओगे।।


थोड़ा सा भी नहीं आगे सीढ़ी चढ़ पाओगे

पछताओगे हिम्मत जुटाओगे पर कुछ न कर पाओगे

जैसे जी रहा है वैसे जीने को मजबूर हो जाओगे

अगर आज निर्णय नहीं लिया तो जिंदगी भर पछताओगे।।


समस्या का चादर ओढ़े वृक्ष सा खड़े रह जाओगे

हवा के झोंके पर नाच करोंगे या गिर कर मर जाओगे

ना लड़ पाओगे आगे के आने वाली तूफानों से 

अगर आज न संभला तो बेहतरीन भविष्य न पाओगे आज के खजाने से।।



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