STORYMIRROR

Sandeep Kumar

Fantasy Others

4  

Sandeep Kumar

Fantasy Others

परंपरा की दुहाई के कारण छोटे..

परंपरा की दुहाई के कारण छोटे..

1 min
311

परंपरा की दुहाई के कारण

छोटे मुंह खोल ना पाता है

जो बोलना चाहिए

वह बोल ना पाता है....


सत्य स्वर भी कभी-कभी

उचित समय में घोट लेता है

गलत को स्वीकार कर

तपस हृदय में भर लेता है

परंपरा की.....


बड़े, बड़ी ही चाव से

अपने वक्तव्य को रख देता है

झूठी शान को, बड़ी अदब से

ओढ़ सलोना चल देता है

परंपरा की.....


मान मर्यादा की जंजीरों में

जकड़े उसकी रोम-रोम रह जाता है

बेचारा उफ़ तक भी 

करने से पहले घबराता है

परंपरा की.....


यह जुल्म नहीं तो और क्या है

यह आघात नहीं तो और क्या है

जो उसे अपने मन का करने को ना मिलता है

रोब , उसी पर रोज-रोज झड़ता है

परंपरा की.....



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy