क्या लिखु तुझ पर..
क्या लिखु तुझ पर..
क्या लिखूं तुझ पर
कुछ अल्फाज नहीं है
दिल की बात बता सकूं
ऐसे मेरे हालात नहीं है..
तू आयी मेरे सामने
ओझल हवा की तरह
तुझे महसूस कर लेना
ये बस की बात नहीं है..
सिर्फ प्यार नहीं कुछ खास हो तुम
मेरे मन का एहसास हो तुम
तुम्हें खयालों में कैद करना
ये कभी मुमकिन नहीं है..
कितना भी देखूं तुम्हें
ये जी नहीं भरता
चांद को रोज देखना
हर किसी के बस की बात नहीं है..

