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ram gagare

Fantasy

3  

ram gagare

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शाम की तारीफ..

शाम की तारीफ..

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क्यों करते हो शाम की तारीफ 

यह तो हर रोज होती है

ना जाने ये किस किस के

किस्से चुरा के लाती है? 


किसी को ये लगती है हसीन

किसी को ये लगती है खफा

जितना भी लगाओ मरहम जख्म पर

ये नया दर्द देती है मुझे हर दफा..


इससे अच्छी तो रात है

थोड़ा सुकून तो लाती है

शाम तोड़ देती है सब का सपना

रात रोज नया ख्वाब दिखाती है.. 


समंदर किनारे की शाम

थोड़ी तो हसीन होती है

गुजरे हुए कल को याद कर

आँखों में नमी होती है..


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