एक खुली किताब...
एक खुली किताब...
सुनने को मेरी कहानी, सब हुए बेताब
मेरी जिंदगी तो है,एक खुली किताब...
कितनी मुश्किलो से हमने, ये उमर गुजारी
पर एक पल भी किसी को,याद ना आयी हमारी...
बेवफाई के लम्हो को,हमने शब्दो में कैद किया
प्यार की स्याई ने,हमसे मुहं मोड लिया...
जिंदगी के पन्नो पर, हमने कुछ तराने लिखे
कुछ अपने कुछ पुराने,फिर भी सब सयानें दिखे...
चैनो-सुकुन की नींद, अब कहां आती है
मुटठी भर पैसों की लालच,इंसानियत दूर ले जाती है...
झूटी हसी चेहरे पर,कबतक रहेगी जनाब
मेरी जिंदगी तो है,एक खुली किताब...