कहीं किसी मोड़ पर
कहीं किसी मोड़ पर
कहीं किसी मोड़ पर, मुलाकात जब होती है,
कभी इंसान खुश होता, कभी आंखें रोती हैं।
अच्छे बुरे इंसान मिलते, आती सारी बातें याद,
कभी तो मिलने वाले की ही नैन भिगोती हैं।।
कहीं किसी मोड़ पर, मिलता बड़ा है शकुन,
कभी किसी स्थल पर, बजता है कोई बिगुल।
यादों की बारात चले, किये गये निज कर्म की,
कहीं कहीं तो इंसान के, लोग गाते बड़े गुण।।
कहीं किसी मोड़ पर, आती किसी की याद,
कभी कभी तो दिल करता, जमकर फरियाद।
जिंदगी चलती रहे, बस यहीं होता अरमान,
जिंदगी में अड़ंगा डालता, वो होता है जल्लाद।।
कहीं किसी मोड़ पर, मिलते दो साथी प्यारे,
गम सारे भूल जाते हैं, हो जाते हैं वारे न्यारे।
आपस में गले मिलते, भूल जाते हैं सारे गम,
एक दूजे के गले शिकवे, दे डालते जो उधारे।।
