परे के परे
परे के परे
चाहत का
अंतिम
शिखर
क्या है
उस
शिखर के
परे क्या है
और इस परे
से भी परे
होकर
मै तुम्हें
चाहता हूं
कुछ ऐसा है
मेरा प्रेम
बस तुम
ओझल न हो
सामने से
यूँ हीं
अपलक
निहारता रहूं
बस इतना हीं
मैं तुमसे
मांगता हूं
मैं तुम्हें
जी भरकर
प्रेम करना
चाहता हूं
यही मेरी
पहली और
अंतिम
ख्वाहिश है।
