STORYMIRROR

Sudhirkumarpannalal Pratibha

Abstract Fantasy Inspirational

4  

Sudhirkumarpannalal Pratibha

Abstract Fantasy Inspirational

परे के परे

परे के परे

1 min
230

चाहत का

अंतिम

शिखर

क्या है


उस

शिखर के

परे क्या है

और इस परे

से भी परे

होकर

मै तुम्हें

चाहता हूं 


कुछ ऐसा है 

मेरा प्रेम

बस तुम

ओझल न हो

सामने से

यूँ हीं

अपलक

निहारता रहूं


बस इतना हीं

मैं तुमसे

मांगता हूं


मैं तुम्हें

जी भरकर

प्रेम करना

चाहता हूं


यही मेरी

पहली और

अंतिम

ख्वाहिश है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract