विज्ञानयुग और कविता
विज्ञानयुग और कविता
विज्ञान के इस युग में जब सब
कुछ हो जायेगा वैज्ञानिक
जब बनने लगेंगे कृत्रिम मानव
जब भाव नहीं तर्क की होगी प्रधानता
जब लुप्त हो जायेगा प्रेम
जब अकाल हो जायेगा कविताओं का
बस उसी दिन के लिए
मैं लिख रही हूं कविताएँ
प्रेममयी मेरी कवितायें जादू करेंगी
धड़केंगे रोबोट के भी दिल
उन्हें भी होगी मुहब्बत
और वे भी लिखेंगे कविताएँ
युग कोई भी हो कवितायें जिन्दा रहेंगी।।