प्यार से रहो
प्यार से रहो
आज के माहौल पर, आँखें है अपनी नम।
बढ़ता रहा समाज, और सिमटते रहे हैं हम।।
छाया हमें मिलेगी कहाँ, ये सोचते हैं हम।
जंगल में हरे पेड़ जो, कटना हुए न कम।।
बेटी को भी पढ़ाना है, बेटों की ही तरह।
ऐसा आपने किया तो, होगा बडा करम।।
आपस में मिलकर स्नेह से, प्यार से रहो।
देश में अमन-चैन हो, न हो कोई भरम।।
हर घर में हो अब, मुहब्बत का ही चलन।
गले मिलो एक दूसरे से, मिटा दो सब वहम।।
मिल-जुल कर रहे अब, हम इंसान की तरह।
मन से हँसो 'सपना', रहे न दिखावे का अहम।।

