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SUNIL JI GARG

Drama Tragedy Fantasy

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SUNIL JI GARG

Drama Tragedy Fantasy

भविष्य से आया आदमी

भविष्य से आया आदमी

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नहीं था वो जरा सा भी ग्रीन 

बिलकुल हम सब जैसी शक्ल 

वो भी पृथ्वी का ही वासी है 

हमसे दुगनी ज्यादा है अक्ल 


उसने बताया वो टाइम ट्रैवलर 

आया पीछे, आगे के युग से 

लोग बहुत अब कम हैं बचे 

दुनिया बर्बाद हुई युद्ध से 


धरती के नीचे बंकर में 

किसी तरह बसते हैं लोग

सतह पर पूरा ही बंजर है 

पशुओं को भी खा गए रोग


खाना पीना भी लैब में बनता 

ट्यूब में पैक किया जाता 

पानी भी टेक्नोलॉजी जनित 

बॉडी में इंजेक्ट किया जाता 


ये सपना नहीं, हकीकत है 

टाइम ट्रैवलर सच बोले था 

उसकी बातें लगीं डराने 

मन खाता हिचकोले था 


अगर रखा न प्रेम भाव तो 

ऐसी ही दुनिया बन जाएगी 

दो चार बचेंगे मुश्किल से 

दोस्ती यारी सब कहाँ जायेगी।


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