कल्पना सच्चाई की ओर।
कल्पना सच्चाई की ओर।
विज्ञान हमारी,
उन्नति का प्रतीक,
ये भ्रम दूर करता,
और सच्चाई सामने लाता।
आज मैं सोचता,
मेरे पास,
ड्राइवरलैस कार होती,
बस में उसमें बैठता,
उसके जीपीएस में,
गन्तवय भरता,
और गो पर क्लिक करता।
कार स्वयं स्टार्ट होती,
सारी ट्रैफिक पार करती,
मुझे गन्तवय पर पहुंचाती।
मेरा घर हाईटैक होता,
उसका दरवाजा,
पासवर्ड से खुलता।
स्वयं ही तापमान,
निर्धारित होता।
लाइट और पानी,
वोयस कंट्रोल में होते।
अपने बैड पर,
जैसे ही मैं लेटता,
मेरे शरीर के,
वाइटल साइनज,
सारे के सारे,
मेरे परिवार के,
डाक्टर के पास चले जाते,
जो भी कमी होती,
वो उसका उपचार करता।
बच्चों की शिक्षा,
ओनलाइन होती।
जब चाहे क्लास,
एटैंड करते।
जब चाहे बंद करते।
घर का सारा सामान भी,
ओनलाइन ही आता,
बस दुकान की ऐप खोलते,
ओडर करते,
ड्राइवर लैस कैरेज द्वारा,
घर पहुंच जाता।
दफ्तर भी,
ओनलाइन होता,
जब चाहे एटैंड करता,
जब चाहे छुट्टी मनाया।
बैंकिंग भी ओनलाइन होती,
हर जगह,
ओनलाइन पेमैंट होती,
पेपर और मैटल करंसी का,
प्रचलन दूर होता।
ये सब मेरी कल्पनाएं,
शायद एक दिन,
सच्चाई में बदल जाएं।