हम देखते
हम देखते
हम देखते रहे तुम्हें कही खो गये,
ना जाने कहा तुम अधूरे रह गये !!
खलती रह गयी कमी तुम्हारी हमें,
ना जाने कही तुम लापता हो गये !!
पूछते रहे हम तुमसे भी अगर तुम,
हम ही हम से दूर कही खो गये !!
तन्हाई अब फासलों की "हार्दिक",
उनकी उन्हें पूछों वे कहा खो गये !!