प्यार तकरार मनुहार
प्यार तकरार मनुहार
तीज पर
पिया का साथ
संग संग
हाथों में हाथ
बरस दर बरस
कैसे बीता
याद नहीं
कभी प्यार
कभी तकरार
कभी मनुहार
यही प्रीत का सार
एक दूजे से
जुड़ गए ऐसे
जैसे सूरज और भोर
इन्द्रधनुषी छटाएं
और मोर
बस यूँ ही सजना
संग संग रहना
और नहीं कुछ चाह
बाबुल का अंगना
बरसों पहले छूटा
मैया भी विदा हो गई
संसार से
अब तो तुम्हीं हो बस
साजन
साथ रहना हर पल
सपना है अब बस यही
माथे की बिंदी चमकती रहे।