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Keshab Chandra Dash

Fantasy Others

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Keshab Chandra Dash

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प्रभु भी करते हैं काम

प्रभु भी करते हैं काम

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एक बार की बात है,

नारद मुनि पहुंच गए प्रभु के धाम

नारायण ,नारायण,

देखा नारदजी ने,

हनुमान द्वार पर खड़े हैं

प्रभु कर रहे एक काम ।


नारदजी ने पूछा,

हनुमान, प्रभु क्या कर रहे हैं ?

करते हैं कौन सा काम ?

जिज्ञासा हे मेरे मन में ,

बताओ ना पवन संतान।


हनुमान बोले, नारदजी ,

प्रभु कर रहे हैं, बही खाता का काम ।

न जाने ओ क्या लिख रहे हैं ,

प्रभु जाने उनका काम।

उत्सुकता से नारद बोले,

ये क्या कर रहे हैं, प्रभु

ये तो मुनीम का है काम ।


मुस्कुराकर प्रभु जी बोले 

में कर रहा हूं, खुद का काम ।

ये काम तो किसी मुनीम का नहीं,

मैं नहीं सौंप सकता किसी को ,

ये मेरा हाजिरी का ही काम ।


नारद बोले, ऐसा क्या है हाजरी का काम ?

बताइए मेरे प्रभु ,

ऐसा आप इस बही खाते में

क्या क्या लिखते हैं ?

आप हैं जगत का तारणहार,

कैसे ये सब करते हैं ?

प्रभु बोले नारद, इस बही खाते में

इन भक्तों का नाम है,

जो हमेशा मुझको भजते हैं ।

हम उनकी नित्य हाजिरी

लगाते हैं।


ये हुई ना बात !

जरा दिखाइए आपका बही खाते में

हैं किस किस का नाम ।

आनंद में उत्फुल्लित हो गए, नारद

बही खाते में पहले स्थान पर

लिखा है उनका नाम ।


परम भक्त हूं मेरे प्रभु के

पर नहीं है हनुमान

बही खाते में ,

जो हरदम करते प्रभु के काम ,

गदगद हो कर हनुमान से बोले

प्रभु कैसे भूल गए 

लिखने तुम्हारे नाम ?


हनुमानजी बोले मुनिवर,

होगा आपने ठीक से देखा ही नहीं ,

नारद बोले,

नहीं, नहीं, मैंने ध्यान से देखा

पर तुम्हारा नाम ही नहीं ।


शायद प्रभु ने मुझे लायक नहीं समझा

अपने खाते में नाम लिखे नहीं

हो सकता है नारदजी,

प्रभु और एक दैनंदिनी भी रखते हैं

कहीं उनमें मेरा नाम तो नहीं ।


आश्चर्यचकित रह गये नारद

देख के प्रभु के काम ,

दैनंदिनी है वही बही खाता,

लिखते हैं प्रभु उन भक्तों को

जिसको भजते हैं

अपने धाम ।


पहले स्थान पर

नाम लिखा था हनुमान जी का नाम

परम भक्त हैं, श्रीराम प्रभु का

ये मानकर, नारदजी का

चूर चूर हो गया

अपना अभिमान ।


जो भगवान को जिव्हा से भजते हैं,

उनको प्रभु अपना भक्त मानते हैं ।

जो हृदय से भजते हैं प्रभु को,

उन भक्तों का ये स्वयं भक्त बन जाते हैं।



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