प्रभु भी करते हैं काम
प्रभु भी करते हैं काम
एक बार की बात है,
नारद मुनि पहुंच गए प्रभु के धाम
नारायण ,नारायण,
देखा नारदजी ने,
हनुमान द्वार पर खड़े हैं
प्रभु कर रहे एक काम ।
नारदजी ने पूछा,
हनुमान, प्रभु क्या कर रहे हैं ?
करते हैं कौन सा काम ?
जिज्ञासा हे मेरे मन में ,
बताओ ना पवन संतान।
हनुमान बोले, नारदजी ,
प्रभु कर रहे हैं, बही खाता का काम ।
न जाने ओ क्या लिख रहे हैं ,
प्रभु जाने उनका काम।
उत्सुकता से नारद बोले,
ये क्या कर रहे हैं, प्रभु
ये तो मुनीम का है काम ।
मुस्कुराकर प्रभु जी बोले
में कर रहा हूं, खुद का काम ।
ये काम तो किसी मुनीम का नहीं,
मैं नहीं सौंप सकता किसी को ,
ये मेरा हाजिरी का ही काम ।
नारद बोले, ऐसा क्या है हाजरी का काम ?
बताइए मेरे प्रभु ,
ऐसा आप इस बही खाते में
क्या क्या लिखते हैं ?
आप हैं जगत का तारणहार,
कैसे ये सब करते हैं ?
प्रभु बोले नारद, इस बही खाते में
इन भक्तों का नाम है,
जो हमेशा मुझको भजते हैं ।
हम उनकी नित्य हाजिरी
लगाते हैं।
ये हुई ना बात !
जरा दिखाइए आपका बही खाते में
हैं किस किस का नाम ।
आनंद में उत्फुल्लित हो गए, नारद
बही खाते में पहले स्थान पर
लिखा है उनका नाम ।
परम भक्त हूं मेरे प्रभु के
पर नहीं है हनुमान
बही खाते में ,
जो हरदम करते प्रभु के काम ,
गदगद हो कर हनुमान से बोले
प्रभु कैसे भूल गए
लिखने तुम्हारे नाम ?
हनुमानजी बोले मुनिवर,
होगा आपने ठीक से देखा ही नहीं ,
नारद बोले,
नहीं, नहीं, मैंने ध्यान से देखा
पर तुम्हारा नाम ही नहीं ।
शायद प्रभु ने मुझे लायक नहीं समझा
अपने खाते में नाम लिखे नहीं
हो सकता है नारदजी,
प्रभु और एक दैनंदिनी भी रखते हैं
कहीं उनमें मेरा नाम तो नहीं ।
आश्चर्यचकित रह गये नारद
देख के प्रभु के काम ,
दैनंदिनी है वही बही खाता,
लिखते हैं प्रभु उन भक्तों को
जिसको भजते हैं
अपने धाम ।
पहले स्थान पर
नाम लिखा था हनुमान जी का नाम
परम भक्त हैं, श्रीराम प्रभु का
ये मानकर, नारदजी का
चूर चूर हो गया
अपना अभिमान ।
जो भगवान को जिव्हा से भजते हैं,
उनको प्रभु अपना भक्त मानते हैं ।
जो हृदय से भजते हैं प्रभु को,
उन भक्तों का ये स्वयं भक्त बन जाते हैं।
