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Keshab Chandra Dash

Abstract Classics Fantasy

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Keshab Chandra Dash

Abstract Classics Fantasy

रामनाम का महिमा

रामनाम का महिमा

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किसीने पूछा तुलसी दास से

    हनुमानजी सौ योजन कैसे लांघ गए ?

एक बानर का कैसे हुआ इतने ताकत

    पूरे सागर कैसे पार हुए ?


तुलसी दास बोले,

इसमें हनुमानजी का कोई कमाल नहीं,

 जो दिखता हे,वही सच नहीं।

कमाल तो उनका हे, जो दिखता नहीं।


उस्सुकता से उस सज्जन ने पूछा,

सारे जगत जानता है

हनुमानजी ने सागर पार किए,

ऐसा कोन है,उनके अलावा

जो ऐसे पराक्रम देखा दिए ?


श्री हनुमानजी समुद्र लाँघ गये ,

उसमे कोई आश्चर्य नहीं।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।

जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं।

तुलसी दास बोले , मुद्रिका ही 

जो मुख में थी, इसका कमाल है वही।


सज्जन बोले,

महात्मा,आप कैसे ये बात बोलते हैं 

जो मुखमे रखने का चीज नहीं ,

ओ कैसे सागर पार कराएगा ?

ये बातें नहीं है इतने खास

किसीसे भी पुछलो

हजम नहीं होगा ये बात।


तुलसी दास बोले ,

बेशक मुद्रिका में दम नहीं।

पर राम नाम जो लिखा है इसमें

सबसे कमाल के बात वही।


प्रभु गुणगान मुख में बोलते

बजरंगबली कर गए बड़े काम।

पूरे सागर पार हो गए,

जपते राम नाम। 


संकटमोचन दसरथ नंदन

कर लो उनका गुणगान।

भवसागर से वही पार कराएंगे

जप लो जय श्री राम।


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